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रक्षक (भाग : 18)

रक्षक भाग : 18

खण्ड दो :  महाभूत

सिडान्ध संयुक्त और अंश के द्वारा निर्मित चक्रवात के कैद को तोड़कर बाहर आ चुका था। अंश तीव्र गति के से उसकी तरफ उड़ते हुए आता है, पर सिडान्ध उसकी उम्मीद से भी तेज निकला, उसने अपने विशाल पंजो से अंश का पैर पकड़कर जमीन पर पटक दिया। संयुक्त के आदेश पर जमीन से मिट्टी हटकर उसे जकड़ने लगी पर सिडान्ध को ये सब ज्यादा देर तक रोक सकने में सक्षम नही थे।

"ये पंचभूत का बस एक अंग है, फिर भी इतना ताक़तवर है, आखिर पंचभूत इतना शक्तिशाली कैसे हो सकता है?" - जयंत बोला जिसके हमले सिडान्ध पर बेअसर साबित हो रहे थे।

"क्योंकि ये सैकड़ो सदी पहले का जीव है, इस शक्तियों का अंदाज़ा लगा पाना भी हमारे बस में नही है।" - उठते हुए यूनिक बोला।

जय के मस्तिष्क में इस मुसीबत से निपटने की योजना बन चुकी थी, इस बार कोई खतरा महसूस नही हो रहा था, पर खतरे का भय न रहना उससे भी बड़ा खतरा है।

रक्षक पंचभूत से जी जान लगाकर लड़ रहा था। अपनी ज्ञात सभी ताक़तों का प्रयोग करने के बाद भी रक्षक को जीत की थोड़ी सी भी उम्मीद नज़र नही आई थी, लेकिन सदियों बाद आज पंचभूत को भी कोई टक्कर का मिला था, उसके धड़ पर अब भी चार सिर थे, चारो सिर कुटिल मुस्कुराहट भरे थे।

पंचभूत ने अपने भीतर से कोई चमकीला पत्थर निकाला, जिससे देखकर रक्षक की आँखे चौंधिया गयी। रक्षक पंचभूत से ऐसी चाल की अपेक्षा नही कर सका था जिसके कारण वो एक बार फिर जमीन पर पड़ा हुआ था।

उधर जय ने अपनी पुरानी योजना को ही कार्यान्वित करना आरम्भ कर दिया, संयुक्त दौड़ते हुए सिडान्ध के आस पास एक ठोस घेरा बनाने लगा, जिसे अंश अपनी बिजली की शक्तियों से चार्ज कर रहा था, जयंत और स्कन्ध अपनी मशीनी शक्तियों का उपयोग घेरे को मजबूत बनाने और सिडान्ध को रोकने के लिए कर रहे थे, यूनिक अपनी कंप्यूटर ऑर्म पर गणना कर रहा था।

"हाँ! अब" - यूनिक ऊपर देखते हुए चिल्लाया।

जॉर्ज अपने नुकीले लम्बे भाले लेकर जैक की सहायता से ऊपर कूदा और भाले का मुंह अचानक से बदलकर बड़े चक्र जैसा हो गया, जो सिडान्ध के टुकड़े करने लगी, जीवन अपनी मानसिक तलवार से उन भागो को नीचे गिरने से रोक रहा था, और संयुक्त उन अंगों को एक से दूसरे जगह लगाए जा रहा था। थोड़ी देर में सभी अंग इधर से उधर हो गए थे, सिडान्ध धड़ाम से धरती पर गिर गया।

"यूनिक मेरे मैसेंजर किट डैमेज हो गए हैं, नया ऑन करके दो।" - जय यूनिक से बोला।

"हाँ! अभी लो।" कहते हुए यूनिक उसे एक छोटा सा डिवाइस दिया जिसे जय ने दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली में पहने अंगूठी में फिट कर दिया।

"हमें सातवा भी मिल गया, पर ये युद्ध सच में बहुत खतरनाक और असम्भव होता जा रहा है।" जय किसी को मैसेज देता हुआ बोला।

"हम हरपल तुमपर नज़र रख रहे हैं जय! और सत्य है सैकड़ो हज़ार साल पुराने जीव की शक्ति की कल्पना करना नामुमकिन है, जीतना तो और अधिक असम्भव प्रतीत होता है, पर यह युद्ध उजाले के केंद्र के लिए है जय, आवश्यकता हुई तो हम खुद आएंगे।" - उसके अंगूठी से आवाज उभरी।

"हम अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश कर रहे हैं गुरुदेव!" - जय बोला।

जय और बाकी सब थोड़ा आजाद महसूस कर रहे थे, रक्षक ने किसी को भी उसकी पंचभूत से लड़ने में मदद करने को मना कर दिया था, पर उनका युद्ध भी बड़े स्तर पर था और इसमें रक्षक की हार तय नज़र आ रही थी।

थोड़ी ही देर में वहां जोरदार ठहाका गूंजने लगा, सभी की खुशियों में खलल पड़ गया, सिडान्ध अब भी सही सलामत हाल में खड़ा था उसके अंग एक दूसरे जगह फिर से व्यवस्थित हो चुके थे।

उसके पूरे शरीर से काली आग निकल रही थी, जिससे वहां जीवन की मानसिक तलवार होने के कारण उसपर सीधा असर पड़ा, जय अपनी बी पावर्स के साथ उसे रोकने की कोशिश किया पर वह सिडान्ध का एक वार भी बर्दाश्त न कर पाया, जॉर्ज वहां से कही दूर जाकर गिरा, संयुक्त आंधी के रेले के साथ उसकी ओर बढ़ा पर वो अदृश्य होकर उसकी पीछे प्रकट हुआ और उसकी दोनो टांगो को तोड़ दिया। अंश के उड़ते हुए शरीर को उसने आसमान की ओर उछाल दिया, सभी के सभी एक पल में बेहाल नज़र आ रहे थे, अभी उन्हें सिडान्ध की वास्तविक शक्तियों का पता चल रहा था, तभी यूनिक दौड़ता हुआ आया।

सिडान्ध उसके शरीर मे अपने नाखून गड़ाने की कोशिश करता है पर यूनिक उसका वो हाथ पकड़करतोड़ देता है, और मुँह पर अपने हाथ का हैमर बनाकर जोरदार वार करता है, बदले में सिडान्ध भी यूनिक को जोरदार पंच मारता है जिससे यूनिक नीचे गिर जाता है, वह यूनिक पर अपनी काली शक्ति किरणों से बांधने का प्रयास करता है पर उसके बीच मे जैक की तलवार आ जाती है। यूनिक उठता है और पीछे से जाकर उसका गला पकड़ लेता है, सब अपनी पूरी ताकत देकर उसे चार्ज करने लगते हैं थोड़ी देर में वो दहकता लावा बन जाता है, यूनिक ने उसके दोनों हाथों को पकड़कर रखा था, बाकी सब अपनी शक्ति का एक एक कतरा उसके शरीर में स्थानांतरित करने में लगे हुए थे, अलगे ही पल सिड़ांध ज्वालामुखी की तरह फटकर वही बिखर जाता है।

पंचभूत यह देखकर हैरान और थोड़ा परेशान हो गया, उसके हाथ में थमा चमकता पत्थर कही दूर जा गिरा था।

"कहा गयी तेरी सैकड़ो सदियों की ताकत!" रक्षक उसके जबड़े पर जोरदार पंच कर उछालते हुए बोला।

जिससे पंचभूत उसी चमकते पत्थर के पास जा गिरा और उठाकर अपने हाथ की मुट्ठी बांध ली। पंचभूत अपने हाथ को आसमान में उठाकर बोला,

"अब तुम बच्चों को महाभूत से टकराना होगा!" - पंचभूत अपने हाथ को ऊपर किया जिससे मरे हुए सभी सर्पितृलों के राख के कण और सिडान्ध क बिखरे टुकड़े उसके शरीर से चिपकने लगे, अब वह एक विशाल काले रंग का, बड़े बड़े दांते वाला, जिसके सीने पर एक गोल चक्र था, जिसमे ऑक्टोपस के हाथ जैसे लटक रहा था।पंचभूत का यह रूप किसी को भी डरा देने के लिए काफी था। पंचभूत अब महाभूत बन चुका था, रक्षक उसपर अपनी ऊर्जा किरणों से वार करता है पर उसका महाभूत पर कोई असर नही होता।

सर्पितृलों की सम्पूर्ण शक्ति को स्वयं में जोड़कर पंचभूत महाशक्तिशाली और अजेय बन गया, इससे पहले कभी भी उसे महाभूत का रूप धारण करने की आवश्यकता नही पड़ी, वह जोर जोर से गुर्रा रहा था, उसका शरीर गहरा काला हो जाता है, सीने में उगे हुए टेंटीकल्स लंबे होकर जय और जीवन को पकड़ने की कोशिश करते है जिसे अंश अपनी तलवार से काट देता है, जयंत अपनी पावरगन फुल्ली चार्ज करके रेड रेज़ से लगातार हमला करता है, जिसमे स्कन्ध भी अपनी चैन से ग्रीन पावर का इस्तेमाल करता है 【जयंत विशेष परिस्थितियों में लाल ऊर्जाकिरणों (रेड रेज़ पावर) का प्रयोग कर सकता है, और स्कन्ध के पास हरी ऊर्जाशक्ति (ग्रीन रेज़ पावर) का प्रयोग कर सकते हैं ये भी बी शक्ति किरणों के ही अलग रूप हैं】

संयुक्त दौड़ते हुए उसके शरीर पर चढ़ जाता है और उसके पीछे की आंधी महाभूत को कोई भी दृश्य देखने में बाधा उतपन्न कर देती है, जिसका फायदा उठाकर यूनिक उसपर एक बड़ी कंटीली बॉल का रूप धरकर उछलते हुए हमले की कोशिश करता है पर महाभूत उसे देख लेता है, और वह  उसे अपने बाएं पैर से जोर से किक मारता है, जिससे यूनिक दूर जा गिरता है।  संयुक्त की तीव्र गतिक अवस्था में ही वह उसे पीछे से जोरदार घूसा मारता है जिससे उसका संतुलन बिगड़ जाता है और वो गिर जाता है।

जीवन अपनी तलवार को थामे महाभूत ओर बढ़ता है, उसके साथ जैक, जॉर्ज, जय, जयंत, स्कन्ध भी दौड़ते है, महाभूत अपने दाहिने पैर को धरती पर जोर से पटकता है, जिससे उसकी तरफ आ रहे सभी दूर जा गिरते हैं, रक्षक उड़ता हुआ उसकी तरफ बढ़ता है, परन्तु महाभूत उसे अपने पंजो में कैद कर मसलने लगता है।

रक्षक की कोई भी शक्ति काम नही कर रही थी। रात बीतने को थी, थोड़ी देर में सुबह होने वाली थी। अंश के घाव धीरे धीरे भर रहे थे, बाकी सब भी महाभूत के सामने जरा भी नही ठहर पा रहे थे। इन सबकी ताक़त मिलकर भी महाभूत को विचलित करने  लायक भर की नही हो पा रही थी।

रक्षक किसी तरह उसकी कैद से आजाद होकर नीचे गिरता है।  दूर खड़ी तमसा उजाले के प्रतिनिधियों का यह हाल देखकर अठ्ठाहस कर रही थी, महाभूत हैवानियत भरी हँसी हँस रहा था।  उसका रूप और विकराल होता जा रहा था। उसके शरीर के हर अंग पर कांटे उगने लगे थे, जिनके भीतर संसार का सबसे तेज़ ज़हर मौजूद था।

रक्षक अपनी पूरी गति से उड़ते हुए महाभूत के नाक पर एक घुसा मारता है, प्रत्युत्तर में महाभूत उसपर एक करारा वार थप्पड़ मारता है, जिससे रक्षक धरती पर पटखनी खाते हुए दूर चला जाता है।

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धरती पर….

राज और रीमा इंग्लैंड के लिए निकले थे, आज ही वो लंदन पहुँचे थे और एक होटल में  ठहरे थे।

"यार तुमको इससे कोई अच्छा होटल नही मिला!" - रीमा राज पर झल्ला रही थी।

"देखो मुझे यहां यही एक होटल मिला जहाँ इंडियन फ़ूड मिलता है, बाकी तुम्हारी मर्ज़ी किसी भी होटल में रह सकती हो।" - राज ने बनावटी गुस्से से कहा।

राज का गुस्सा देख रीमा मुस्कुराई और डिनर करके अपने कमरे में जाकर लेट गयी। राज भी अपने कमरे में जा कर सो गया। दोनो बहुत थके हुए थे इसलिए नींद जल्दी आ गयी।

"कर्म! अब वक्त आ गया है एक होने का!"

सहसा राज के कानों में यह आवाज गूंज उठी और वह हड़बड़ाकर उठ बैठा।

क्रमशः...


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7 Comments

Hayati ansari

29-Nov-2021 09:57 AM

Nice

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Niraj Pandey

08-Oct-2021 04:31 PM

शानदार जबरदस्त👌👌

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Thanks

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Shalini Sharma

01-Oct-2021 01:51 PM

Nice

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Thanks

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